सोमवार, 2 अक्टूबर 2023

परीक्षाभवन

 "परीक्षाभवन"

वक्त से पहले,
मैं पहूंचा
देखा वहा शांति छाई थी।
मानों लग रहा है,
तुफान आने वाला है।
मैने सोचा
फिर पुछा किसी से
क्या यही 'परीक्षाभवन' हैं।
जिसने देखे लाखों को...
कुछ को रोते, कुछ हंसते हुए
कुछ को मायुस चेहरे बना कर निकलते।
क्या यह वहीं है, जिसने
बहुतों के तकदीर बनते
बिगड़ते देखा है।
मैं अन्दर जाने को हुआ,
पीछे से आवाज आई
रुको अभी अन्दर
नहीं जा सकते हो
मैने पुछा क्यों?
क्योंकि यह 'परीक्षाभवन' है। 
उसने भवन से दूर हटाया, 
ओर कहां समय नहीं हुआ
कुछ छलक मैने
अन्दर देख लिया
कुछ टुटी बेंच पड़ी थी।
ऐसा जैसे कुछ सपनों को
तोड़ कैद कर लिया हो,
लाइट्स ऐसी मानों,
सबने मुँह मोड़ लिया हो
कुछ ओर आए
ओर मुझसे पूछा
क्या यही है' परीक्षाभवन '
हां यही' परीक्षाभवन' हैं।
                          

                                           किंग कुमार (अनुपम)



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