वह थी नन्ही सी लड़की
माँ-बाबा ने उसे खूब प्यार किया।
खुब शरारती, खुब नटखट
जिसके पास जाती
अपना बन जाती।
हुई वह पाँच वर्ष की
जाने लगी वह स्कूल में
कुछ नहीं था तकलीफ जीवन में
चल रही थी धारा के मग्न में
छाई काले बादल की घटा
डुब गया उसका सारा रंग
छा गई चारों तरफ सन्नाटा।
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