शुक्रवार, 3 नवंबर 2023

उस दिन मैं

 उस दिन मैं....... 

तालाब के किनारे खड़ा, 

तालाब में हो रही लहर की हल्की धारा... 

वह धारा नहीं मेरे भीतर से उठते प्रश्न

क्या कर रहा हूं मैं यहाँ? 

उस दिन मैं..... 

मंदिर के सामने खड़ा,

मंदिर से आ रही थी पल-पल घंटे की आवाज़....

वह घंटे की आवाज़ नहीं मेरे ह्दय की थी धड़कन,

पुछ रही थी यह सवाल,

क्या कर रहे हो यहाँ? 

उस दिन मैं ....... 

खड़ा मैं मुर्ति जनवादी कवि के पास,

वहाँ व्याप्त थी मौन यहाँ वहाँ 

सिर्फ थी सरसराहट की आवाज़.....

वह सरसराहट नहीं सांसों की आदान प्रदान, 

पुछ रही थी क्या कर रहे हो यहाँ? 

मैं ढूंढ रहा हूँ जवाब। 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

उस दिन मैं

 उस दिन मैं.......  तालाब के किनारे खड़ा,  तालाब में हो रही लहर की हल्की धारा...  वह धारा नहीं मेरे भीतर से उठते प्रश्न क्या कर रहा हूं मैं ...