आज ना अम्बेडकर, ना गांधी
फिर क्यों झगड़ते वादी-वादी।
आओं विचारे मिलकर
उनकी धारा-धारा को
तब मिलकर बनाते "विचारधारा" को।
उस दिन मैं....... तालाब के किनारे खड़ा, तालाब में हो रही लहर की हल्की धारा... वह धारा नहीं मेरे भीतर से उठते प्रश्न क्या कर रहा हूं मैं ...
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