इस अंधकार में प्रकाश तुम लाते हो।
भटकते हुए राही को रास्ता तुम दिखाते हो।
ना जाने तुम हो कौन?
जो हमें हर बुराई से बचाते हो।
तुम्हें पाकर ना जाने कितनों ने
बदला संसार को
तुम मिल जाओ कायर को
तो वह निडर हो जाएगा।
तुम मिल जाओ कमजोर को
तो वह भी शक्तिशाली हो जाएगा।
तुम मिलते हो अहंकारी से
तो वह निर्दयी हो जाता।
क्या तुम्हें सब लोग पहचानते?
क्या तुम्हें सब लोग जानते?
आखिर हो कौन तुम?
किंग कुमार (अनुपम)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें