'स्त्री'
कोमलता की है पहचान,
कठोरता की है निशान,
दुर्गा का रूप तू,
काली है तेरा नाम।
विद्या की है देवी,
पवित्रता की है पहचान।
तू ही है राधा, तू ही लक्ष्मी।
तू है रानी, तू ही बाई।
तू ही है तरवार, तू ही म्यान।
मैं कवि हूँ तू ही मेरी कविता ।
उस दिन मैं....... तालाब के किनारे खड़ा, तालाब में हो रही लहर की हल्की धारा... वह धारा नहीं मेरे भीतर से उठते प्रश्न क्या कर रहा हूं मैं ...
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