सोमवार, 2 अक्टूबर 2023

प्यार

 "प्यार"

खैर कुछ तो बात हुई।
दिल के बगीचे में,
फूल के आने की आस हुई।
जागी जीवन की नयी उंमग,
ढूंढने निकल गऐ यह चमन,
रात यूहि बीत जाती थी,
सितारों को देख कर।
जब से यह फूल खिला
आस जगी उम्मीदों को
कोई तो है, जो मेरे
जाने से उदास और
आने से खुश होता।
खैर कोई तो है जिसे
रूठ जाने पर मनाना है।
दिल के बगीचे में फू
तो खिला है।

                                     कुमार किंग (अनुपम)

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