शुक्रवार, 3 नवंबर 2023

उस दिन मैं

 उस दिन मैं....... 

तालाब के किनारे खड़ा, 

तालाब में हो रही लहर की हल्की धारा... 

वह धारा नहीं मेरे भीतर से उठते प्रश्न

क्या कर रहा हूं मैं यहाँ? 

उस दिन मैं..... 

मंदिर के सामने खड़ा,

मंदिर से आ रही थी पल-पल घंटे की आवाज़....

वह घंटे की आवाज़ नहीं मेरे ह्दय की थी धड़कन,

पुछ रही थी यह सवाल,

क्या कर रहे हो यहाँ? 

उस दिन मैं ....... 

खड़ा मैं मुर्ति जनवादी कवि के पास,

वहाँ व्याप्त थी मौन यहाँ वहाँ 

सिर्फ थी सरसराहट की आवाज़.....

वह सरसराहट नहीं सांसों की आदान प्रदान, 

पुछ रही थी क्या कर रहे हो यहाँ? 

मैं ढूंढ रहा हूँ जवाब। 


बुधवार, 1 नवंबर 2023

मौन रही यह कविता

 


तब मौन रही यह कविता। 

सीता पर लगे लाक्षण, 

तब मौन रहे मर्यादा पुरुषोत्तम। 

तब मौन रही यह कविता ।

द्रोपदी का हुआ चिरहरण, 

तब मौन रहे भीष्म द्रोण कर्ण। 

तब मौन रही यह कविता ।

जब हुआ शांति दूत का अपमान 

तब मौन रही यह सभा भारत महान। 

तब मौन रही यह कविता 

जब हुआ जलिया का भीषण नरसंहार, 

तब मौन रहे अपने पालनहार। 

तब भी मौन रही यह कविता। 

नौकरी

 नौकरी आई देखों बन ठन के

आते ही मच गया हल्ला चारों ओर 

देखों आई नौकरी हमारे मोहल्ला, 

नौकरी की चाल ऐसे

जैसे चले कोई नागिन जैसे

सुन्दरता का है रूप निखार

देख के शरमा जाए आईना यार.... 

हर कोई चाहें उसको पाना, 

हाथ ना आये किसी के जाना, 

पाने को किया गया लाख जतन

बीच में आ एक पत्थर

बँट गये हम इधर - उधर

हो गई चाहनेवाले की भीड़ कम 

पड़ी वह जिस ओर

बन कर रह गई उस ओर। 

उस दिन मैं

 उस दिन मैं.......  तालाब के किनारे खड़ा,  तालाब में हो रही लहर की हल्की धारा...  वह धारा नहीं मेरे भीतर से उठते प्रश्न क्या कर रहा हूं मैं ...